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चाँद को राम जी से शिकायत !!


आज एक सुन्दर कविता पढ़ने को मिली, आप भी इसका आनन्द लें !


चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है कि दीपावली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कविता है कि चाँद किस प्रकार खुद को राम जी के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर उन्हीं से शिकायत करता है और राम जी भी उसकी बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं | आइये देखते हैं और आनंद लेते हैं उनके मधुर संवाद का |


जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।

तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।

जिस वक़्त याद में सीता की ,
तुम चुपके – चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ,
हम ही जागते होते थे ।

संजीवनी लाऊंगा ,
लखन को बचाऊंगा ,
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त;
मगर अपनी चांदनी बिखरा कर,
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।

रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।

सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया ?

अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं, चिढ़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।

तो राम ने कहा,

क्यों व्यर्थ में घबराता है ?
जो कुछ खोता है, वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ,
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे ।

जय श्री राम !!

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hanuman

दो दीन पहले पूज्य बापूजी का आश्रम की प्रवक्ता नीलम जी दर्शन करने गई थी | उन्होंने पूज्य बापूजी से पूछा की अब बहुत हो चूका .. आप कृपया संकल्प करके बहार आइये | इस पर मुस्कुराकर पूज्य बापूजी बोले डॉक्टर अपना इलाज खुद नही करता | नीलम जी ने प्रश्न किया की तो फिर आप बहार कैसे आयेंगे ? तब प्यारे गुरुवार फिर मुस्कुराकर बोले की सब साधक मिलकर संकल्प करो फिर जो होगा देखा जायेगा .. |

आप सब साधक – भक्त मिलकर दृढ संकल्प करे की पूज्य गुरुदेव जल्दी बाहर आकर दर्शन-सत्संग का लाभ प्रदान करे तो जरुर गुरुदेव बाहर आयेंगे |

रोज एक ही प्रार्थना 9 बार करने से जरुर फलित होती है, अजमाकर देख लीजिये |

हरी ॐ |